करो न कोई मन की परतीत। थाह बताय डुबावत भव में बनि हितकारी मीत। टेक ...
कर चलने का साज दम का कौन भरोसा। १ यह संसार असार बताया...
कपट को दूर कर साँच करनी करो कपट करतूत नहिं पार पावै। १ कपट करतूत सो...
कपट करतूत की तोप करडी चले चोट सो ऊबरे सन्त कोई। १ सील सनाह करि ग्यान...
कथनी बदनी सब जंजाल भाव भगति अरु राम निराल। १ कथैं बदै सुनौं सब कोई कथैं...
कथता बकता सुरता सोई आप बिचारैं ग्यानी होई। जैसे अगिन पवन का मेला चंचल चपल बुधि...
ऐसो भरम बिगुर्चन भारी। वेद कितेब दीन औ दोजख को पुरुषा को नारी। १ माटी का...
ऐसे हरि नहिं पाइये मन चंचल भाई। टेक सुगा पढ़ायो रैन दिन बोलै टकसारा । ...
ऐसे राम कहे का होई जो मन की दुबिधा नहिं खोई। राम कही कहि नरक परत...
ऐसी है दीवानी दुनिया भक्ति भाव नहिं बूझे जी। टेक कोई आवै बेटा माँगै यही ...
ऐसी लगन लगाय कहाँ जासी। टेक मूढ़ सुवा सेमर एक सेवे छाँड़ चला संग साथी। फूल...
ऐसा कोई देखा मतवाला। टेक छाक चढ़ी बिसरी सुधा पिये प्रेम पियाला। पिवते ही तन बीसरी...