Bhakti
हंसा सुधि करो आपन देश । टेक जहाँ से आयो सुधि बिसरायो चले गये परदेश ।...
हंसा मन खेले जग जूआ । सुर नर मुनि को पकड़ पछाड़े आप कभी नहीं मूवा...
हंसा मत बिछुड़ो सुमिरन से । टेक जो सुमिरन ते आवत नाहीं पूछि लियो हरिजन से...
हंसा प्यारे सरवर तजि कहाँ जाय । टेक जेहि सरवर बिच मोतिया चुगत होते बहु विधि...
हंसा निंदक का भल नाहीं । निंदक के तो दान पुण्य व्रत सब प्रकार मिट जाहीं...
हंसा ऐसो गुरुमत भारी । लखे तो भव में आवत नाहीं भव के बहोत बेगारी ।...
हंसा आप में आप निबेरो । आपन रूप देख आपहि में नौ निधि होवै चेरो ।...
हरिजन चार वरण से ऊँचा । टेक नहिं मानो तो साखि देखाऊँ सेवरी के फल खायो...
हम सम कौन बड़ा परिवारी । टेक सत्य है पिता धर्म है भ्राता लज्जा है महतारी...
हम न मरब मरिहैं संसारा हमका मिला जियावन हारा । टेक साकट मरैं संत जन जीवैं...
सौदा करे सो जाने काया गढ़ में लागल बजार । टेक या काया में हाट लगाये...
सोवता होय जो सोई तो जागिहै जागता सोवता कहाँ जागै । मान मन माहिं अभिमान ग्यानी...