सुखी अवधूत अरु दुखी सब जगत है रैन दिन पचत नहिं भूख भागी । १ सदा...

सुख सिंधु की सैर का स्वाद तब पाइ है चाह का चौतरा भूलि जावे । १...

निसदिन खेलत रही सखियन संग मोहि बड़ा डर लागे । मोरे साहिब की ऊंची अटरिया चढ़त...

निर्भय ह्वै जागो मन मोर । टेक दिन को जागो राति को जागो मूसे ना घर...

निर्धन को धन राम हमारो निर्धन को धन राम। १ चोर न लेवे घटहु न जावे...

नाम हरि का जप ले बन्दे फिर पीछे पछतायेगा । टेक तू कहता है मेरी काया...

नाम सनेही साधवा मुख पाट न खोलै । नाम जपे निर्वान पद बुझाई सो बोले ।...

ना मैं धर्मी नाहिं अधर्मी ना मैं जती न कामी हो । ना मैं कहता ना...

नाम में भेद है साधो भाई । टेक जो मैं जानूँ साँचा देवा खट्टा मीठा खाई...

नहिं मानै मूढ़ गँवार मैं कैसे कहूँ समझाय । टेक झूठे को विश्वास करत है साँचे...

नर तोहि नाच नचावत माया । ज्ञान हेतु कबहुँ नहिं नाचे जा हित पाये काया ।...

नर तैं क्या पुराण पढि कीन्हा । अनपायनी भक्ति नहिं उपजी भूखै दान न दीन्हा ।...