मंगल अगम अनूप सन्त जन गावहीं । उपजत प्रेम विलास तो आनंद बढ़ावहीं । टेक प्रथमहिं...

मन समुझ के लादी लदनियाँ हो । टेक काहेक के टटुवा काहेक पाखर काहे के भरी...

होशियार होय रहो मुसाफिर कज्ज़ाक फिरता गली गली । टेक इस नगरी में तीन चोर हैं...

है कोइ संत मिले ये अवसर अपने गर बसाऊँ हो । छिन एक में मैं देऊँ...

हैं कोई भूला मन समुझावै । या मन चंचल मोर हेरि लो छूटा हाथ न आवै...

हंसा हंस मिले सुख होई । टेक इहाँ तो पाँती है बगुलन की कदर न जाने...

हंसा सुरति करो चितलाई । मूल नगर पहुँचे बिन हंसा जीव परलै ह्वै जाई । टेक...

हंसा सुधि करो आपन देश । टेक जहाँ से आयो सुधि बिसरायो चले गये परदेश ।...

हंसा मन खेले जग जूआ । सुर नर मुनि को पकड़ पछाड़े आप कभी नहीं मूवा...

हंसा मत बिछुड़ो सुमिरन से । टेक जो सुमिरन ते आवत नाहीं पूछि लियो हरिजन से...

हंसा प्यारे सरवर तजि कहाँ जाय । टेक जेहि सरवर बिच मोतिया चुगत होते बहु विधि...

हंसा निंदक का भल नाहीं । निंदक के तो दान पुण्य व्रत सब प्रकार मिट जाहीं...