नाम हरि का जप ले बन्दे फिर पीछे पछतायेगा । टेक तू कहता है मेरी काया...

नाम सनेही साधवा मुख पाट न खोलै । नाम जपे निर्वान पद बुझाई सो बोले ।...

ना मैं धर्मी नाहिं अधर्मी ना मैं जती न कामी हो । ना मैं कहता ना...

नाम में भेद है साधो भाई । टेक जो मैं जानूँ साँचा देवा खट्टा मीठा खाई...

नहिं मानै मूढ़ गँवार मैं कैसे कहूँ समझाय । टेक झूठे को विश्वास करत है साँचे...

नर तोहि नाच नचावत माया । ज्ञान हेतु कबहुँ नहिं नाचे जा हित पाये काया ।...

नर तैं क्या पुराण पढि कीन्हा । अनपायनी भक्ति नहिं उपजी भूखै दान न दीन्हा ।...

नर तू पार कहँ जैहो । आगे पन्थ पन्थि ना कोई कूच मुकाम न पैहो ।...

नर तुम नाहक धूम मचाये । टेक करि असमान छूवो नहिं काहू पाती फूल चढ़ाये ।...

नर तुम झूठे जनम गमाया । टेक झूठे के घर झूठे आया आया झूठे ते परिचाया...

नर तुम कियो न एको काजा । काम क्रोध तृष्णा के बाँधे लूटत हैं यमराजा ।...

नर तुम काहे को माया जोरी । टेक कौड़ी कौड़ी माया जोरी कीन्हें लक्ष करोरी ।...