सभि धंनु कहहु गुरु सतिगुरू गुरु सतिगुरू जितु मिलि हरि पड़दा कजिआ।। पंचे सबद वजे मति...

जगत में झूठी देखी प्रीत अपने ही सुख स्यों सब लागे क्या दारा क्या मीत।। मेरी...

साधो मन का मान तिआगउ। काम क्रोध संगति दुर्जन की ता ते अहिनिसि भागउ।। सुख दुख...

ऐसा ज्ञान जपो मन मेरे। होवो चाकर सांचे केरे।। अंतर बसे न बाहर जाए। अमृत छोड़...

बबीहा अमृत वेले बोलिया तां दर सुनी पुकार। मेघे नू फुरमान होआ वरसो किरपा धारि। हो...

सुमिरन कर ले मेरे मनां। तेरी बीती उमर हरि नाम बिनां।। कूप नीर बिना धेनु चीर...

गुरु गुरु गुरु कर मन मोर। गुरु बिना मैं नाहीं होर।। गुरु की टेक रहो दिन...

हिरदै नामु वसाइहु।। घरि बैठे गुरु धिआइहु।। गुिर पूरै सचु कहिआ।। सो सुखु साचा लहिआ।। अपुना...

सुमिरन कर ले मेरे मनां तेरी बीती उम्र हरि नाम बिनां। कूप नीर बिना धेनु चीर...

मैं बौरी मेरा राम भतार रचरच ताको करो श्रृंगार। भले निन्दो भले निन्दो भले निन्दो लोग...

प्राणी क्या तेरा क्या मेरा जैसे तरवर पंखि बसेरा। जल की भीति पवन का थंभा रक्त...

जगत में झूठी देखी प्रीत। अपने ही सुख स्यों सब लागे क्या दारा क्या मीत। मेरी...