रे मन ऐसो कर संनिआसा।। बन से सदन सबै कर समझहु मन ही माहि उदासा।। जत...

मेरे साहिबा कउणु जाणै गुण तेरे।। कहे न जानी अउगण मेरे।। कत की माई बापु कत...

मन मेरिआ अंतरि तेरै निधानु है बाहरि वसतु न भालि।। जो भावै सो भुंचि तू गुरमुखि...

जाग लेहु रे मना जाग लेहु कहा गाफल सोइआ।। जो तनु उपजिआ संग ही सो भी...

मन की मन ही माहि रही।। ना हरि भजे न तीरथ सेवे चोटी कालि गही।। दारा...

माधो हम ऐसे तू ऐसा।। हम पापी तुम पाप खंडन नीको ठाकुर देसा।। हम मैले तुम...

मोकउ तूं न बिसारि तू न बिसारि।। तू न बिसारे रामईआ।। आलावंती इहु भ्रमु जो है...

भिंनी रैनड़ीऐ चमकनि तारे।। जागहि संत जना मेरे राम पिआरे।। राम पिआरे सदा जागहि नामु सिमरहि...

भजहु गोबिंद भूलि मत जाहु।। मानस जनम का एही लाहु।। गुर सेवा ते भगति कमाई।। तब...

भई परापति मानुख देहुरीआ।। गोबिंद मिलण की इह तेरी बरीआ।। अवरि काज तेरै कितै न काम।।...

बाबा बोलते ते कहा गए देही के संगि रहते।। सुरति माहि जो निरते करते कथा बारता...

मानकु पाइओ रे पाइओ हरि पूरा पाइआ था।। मोलि अमोलु न पाइआ जाई करि किरपा गुरु...