फिरहु का फूले फूलेफूले। जब दश मास उधर्व मुख होते सो दिन काहेक भूले । टेक...
फल मीठा पर ऊंचा तरबर कौनि जतन करि लीजै । नेक निचोड़ सुधा रस वाको कौनि...
पायो मैं राम गले के हरवा । टेक साँकर खटोलना रहनि हमारी दुबरेदुबरे पाँच कहरवा ।...
पाप पुन्न के बीज दोऊ बिज्ञान में डारिये जी । १ पाँचों चोर बिबेक से बस...
पाछे समुझ पड़ेगा भाई । टेक इहाँ आहार उदर भरि कीन्हें बहुविधि मांस पकाई । जीव...
पंडित सत पद जप रे भाई । चरण कमल बिन सब नर बूड़े नरक पड़ी चतुराई...
पंडित न कर वाद विवाद या देही बिन शब्द न स्वाद । टेक खण्ड ब्रम्हाण्ड पिंड...
पंडित देखहु मन में जानी । कहु धौं छूति कहाँ से उपजी तबहिं छूति तुम मानी...
पंडित एक अचरज बड़ होई । एक मरि मुये अन्न नहिं खाई एक मरै सिझै रसोई...
पंडित काहे बकरिया मारी । टेक जब पंडित को जन्म भया है बकरी भई महतारी ।...
पंडित अपनी अगिन बुझाओ । हम तो अपनी राह चलत हैं तुम काहे दुख पाओ। टेक...
पढ़ि ले काजी बाँग निमाजा एक मसीद दसों दरवाजा । टेक मन करि मका क़िबला करि...