अब तो छोड़ जगत की लाल सारे सुमरो सर्जनहार ॥ बालापण खेलन में खोयो जोबन मोह्यो...

मनुवा सोचसमझ कर देखले रे नश्वर सब संसार ॥ राजा जावे रानी जावे जावे सब परिवार...

मनुवा उलटी तेरी रीत कीनी परदेसी से प्रीत ॥ टेक ॥ क्षण भंगुर यह काया तेरी...

बंसी का बजाना री सखी मैं कैसे छॊड़ूं आज ॥ टेक ॥ इस बंसी में सब...

बंसी का बज़ाना छोड़ दे रे नन्द महर के लाल ॥ टेक ॥ तेरी बंसरी रस...

देख़ो वृंदावन की कुंज में री नाचे नंदकुमार ॥ मोरमुकुट सिर ऊपर सोहे गल फूलन के...

भजले रामनाम सुखधाम तेरा पूरण हो सब काम ॥ काशी जावे मथुरा जावे तीरथ फिरे तमाम...

अब दया करो जगदीशजी सब विश्व रचाने वाले तुम मन में प्रथम बिचारा तब पांच तत्व...

अब तुम दया करो महादॆव जी कैलास बसाने वाले ॥ सब अंग बिभूति रमाई सिर ऊपर...

अब तुम दया करो श्रीराम जी रघुनाथ कहाने वाले ॥ बन जाय ताडका मारी खरदूखण फ़ौज...

अब तुम दया करो श्रीकृष्ण जी बृजराज कहाने वाले ॥ टेक ॥ तुम मात देवकी जाये...

चेत रे नर चेत प्यारे अब तो मन में चेत रे ॥ टेक ॥ क्यों भुलायो...