Vairagya
देह तो देख मिलि जायगी खेह में देह से काज कुछ कीजिये रे । १ राम...
देखि माया के रूप तिमिर आगे फिरे । भक्ति गई बड़ी दूर जीव कैसे तरे ।...
देख़हु यह तन जरता है घड़ी पहर बिलंबी रे भाई जरता है। १ काहे कौ एता...
देख बे देख अलेख के खेल को बना सर्बज्ञ नाना अपारा । १ आपही भोग बिलास...
दूभर पनिया भरा न जाई तृषा हरि बिन कौन बुझाई । टेक उपर नीर लेजु तलिहारी...
दुलहिन काहे न अँगिया धुलाई । बालापने की मैली अँगिया विषयन दाग परिजाई । टेक बिनु...
ऐसनि देह निरालप बौरे मुवल छुवे नहिं कोई हो। डंडवा की डोरिया तोरि लराइनि जो...
उपजै निपजै निपजिस भाई नयनहु देखत इहु जग जाई। १ लाज न मरहु कहौ घर मेरा...
आपन काहे न सँवारे काजा । टेक ना गुरु भगति साध की संगत करत अधम निर्लाजा...
अवधू माया तजी न जाई । गृह तजके बिस्तर बाँधा बिस्तर तजके फेरी । टेक काम...
अवधू अक्षर से वो न्यारा ॥ टेक जो तुम पवना गगन चढ़ावो करो गुफा में वासा...
अनप्रापत बस्तु को कहा तजै प्रापत तजै सो त्यागी है। असील तुरंग को कहा फेरे अफ़तर...