Bhakti
जगतपति ईश्वर तुं सुखकंद सत चित आनंद रूप तुमारो ध्यावत सुरमुनि वृंद ॥ टेक ॥ मायाजाल...
जगतपति ईश्वर तुं करतार सकल जगत में जीव चराचर सब तुमरा परिवार ॥ टेक ॥ एक...
जगतपति ईश्वर करो सहाय दीनदयाल दयानिधि स्वामी अर्ज करूं सिरनाय ॥ टेक ॥ दुस्तर मायाजाल बिछाया...
प्रभु सुम अरज हमारी आज सकल जगत के हो तुम स्वामी दीनबंधु महाराज ॥ टेक ॥...
हरितुम भक्तन के हितकार भवसागर जल दुस्तर भारी लीजे मुझे उबार ॥ टेक ॥ गज अरु...
मुसाफिर चलजाना चलजाना रे यह संसार सराय ॥ टेक ॥ इस सराय की चाल पुराणी इक...
सखीरी सुन बंसी बाज रही जलजमुना के तीर ॥ टेक ॥ चांद चांदनी रात मनोहर शीतल...
प्रभु मेरी अरजी आज सुनो सब जग सर्जनहार ॥ टेक ॥ और न पालक मेरो स्वारथ...
समझ मन झूठा है संसार सुमर सदा हरिनाम ॥ टेक ॥ क्षण भंगुर स्वप्ने की माया...
अजब तेरी उमरा बीत रही कैसे धरे मन धीर ॥ टेक ॥ दिनदिन घडिघडि पलपल जावे...
आना आना रे मोहन मेरी गलियां ॥ टेक ॥ घिस घिस चन्दन लेप लगावूं धोवुं चरनन...
पिया चालो नगरिया हमारी रे ॥ टेक ॥ तुमबिन हारसिंगार न भावे सुने महल अटारी रे...