Bhakti
मैं तो तेरा दास प्रभुजी मुझे न बिसारणा ॥ टेक ॥ जपतप दान नाही तीरथ स्नान...
कृष्ण ने कैसी होरी मचाई अचरज लखियो न जाई असत सतकर दिखलाई ।। टेक ॥ एक...
मैं तो गुरु अपनेसे होरी खेलुं मन धार री ॥ टेक ॥ प्रेमभाव का रंग बनावु...
होरी कुञ्ज गलिन में खेलत नंद कुमार री ॥ टेक ॥ मोरमुकुट सिर ऊपर सोहे गल...
तजो अब नींद रे मुसाफिर करो तयारी रे ॥ टेक ॥ इस नगरी के नौ दरवाजे...
सुनो जगदीश प्रभु अरज हमारी ॥ टेक ॥ मानुष जन्म मिला जग माही किरपा भई तुमारी...
जपो हरिनाम बन्दे उमर बिहानी रे ॥ टेक ॥ बालपणो सब खेल गमायो तिरिया मोह जुवानी...
जगत में जीवन है दिन चार सुकृतकर हरिनाम सुमर ले मानुष जन्म सुधार ॥ टेक ॥...
जगत में रामनाम है सार सोच समझ नर देख पियारे नश्वर सब संसार ॥ टेक ॥...
जगत में स्वारथ का व्यवहार बिन स्वारथ कोई बात न पूछे देखा खूब बिचार ॥ टेक...
सुमर नर रामनाम सुखधाम जनम मरण के बंधन छूटें पूर्ण हों सब काम ॥ टेक ॥...
जगतपति ईश्वर दयानिधान सकल जगत का कर्ता हर्ता व्यापक तुं भगवान् ॥ टेक ॥ जलकी बूंद...