Bhakti
बीती बहुत रही थोरी सी । टेक खाट पड़े नर झंखन लागे निकस प्राण गयो चोरी...
बीत गए दिन भजन बिना रे । टेक बाल अवस्था खेल गवाँयो जब ज्वानी तब मान...
बिना राम के जग में अपना कोई नहीं भाई । टेक बाग़ लगायो बगीचा लगायो और...
बिन सतसंग कुमति न छूटी । टेक चाहे जाओ मथुरा चाहे जाओ काशी हृदय की मोह...
बिन सतगुरु नर फिरे भुलाना । टेक केहरि सुत इक ले गड़ेरिया पाल पोस के किया...
हिंदू तुरुक दो दीन बने हैं आये एकै घर से । टेक इनकी माला उनकी तस्बी...
बिदेशी सुधि करु अपने देश । टेक आठ पहर कहवाँ तुम भूलो छाड़ि देहु भ्रम भेस...
बिन जागे न पइहौ सजन सखिया । टेक क्या तुम सोवो मोह खोह में कामिन ऐसी...
बाबा हमका खेलैदा नैहरवा दिन चारी। टेक पहिली बुलाव तीन जन आये नाऊ बाम्हन बारी ।...
बाबा जोगी एक अकेला जाके तीरथ ब्रत न मेला । टेक झोली पत्र विभूति न बटवा...
बानी छोड़ दे अभिमानी । टेक जे देहिया के गरब करतु है सोई भये अगवानी ।...
बहुरि ना आवना या देस । जो जो गये बहुरि नहिं आये पठवत नहिं संदेस ।...