Bhakti
पंडित न कर वाद विवाद या देही बिन शब्द न स्वाद । टेक खण्ड ब्रम्हाण्ड पिंड...
पंडित देखहु मन में जानी । कहु धौं छूति कहाँ से उपजी तबहिं छूति तुम मानी...
पंडित एक अचरज बड़ होई । एक मरि मुये अन्न नहिं खाई एक मरै सिझै रसोई...
पंडित काहे बकरिया मारी । टेक जब पंडित को जन्म भया है बकरी भई महतारी ।...
पंडित अपनी अगिन बुझाओ । हम तो अपनी राह चलत हैं तुम काहे दुख पाओ। टेक...
पढ़ि ले काजी बाँग निमाजा एक मसीद दसों दरवाजा । टेक मन करि मका क़िबला करि...
पड़े अविद्या में सोने वालों खुलेंगी आँखें तुम्हारी कब तक । शरण में आने को सद्गुरु...
मेरो कोई नहीं रोकणहार बुलावे जो कृष्ण मुरार खेलन होली जावन दे हे धूम मचावन दे। ...
आन मिलो श्याम सांवरे बृज में अकेली राधा खोईखोई फिरे। वृन्दावन की गलियों में तुझ बिन...
सुख सिंधु की सैर का स्वाद तब पाइ है चाह का चौतरा भूलि जावे । १...
सील संतोष में सबद जा मुख बसै संत जन जौहरी साँच मानी । १ बदन विकसित...
साहब तेरा भेद न जाने कोई । टेक पानी लै लै साबुन लै लै मल मल...