सिरीराम कहे समझाई सुन लछ्मन प्यारे भाई टेक निवास पिता ने दीना मैने बचन शीश धर...

महादेव कहे निर्बानी सुन गिरिजा अमर कहानी टेक जब प्राण अपान मिलावे तब कुण्डलनी उठ जावे...

शुकदेव कहे तप धारी सुन रंभा बात ह्मारी टेक तुम सुंदर रूप बनाया सब हार सिंगार...

शुकदेव समझ मन माँहि मैं स्वर्ग लोक से आई टेक रंभा है नाम हमारा सब परियों...

शुकदेव कहे मुनि ज्ञानी सुन भूप भागवत बानी टेक सुख दुख अरु जीवन मरना सब अपना...

मुनि कपिल कहे सुन माई अब सांख्य ज्ञान मन लाई टेक सत रज तम त्रिगुण समाना...

श्री कृष्ण कहे निरधारा सुन अर्जुन बचन हमारा टेक यह जीव सदा अविनाशी सुखरूप स्वयं परकाशी...

मुनि कहत वासिष्ठ बिचारी सुन राम वचन हितकारी टेक यह झूठा सकल पसारा मृग तृष्णा जलधारा...

रे मनुआ अब तो समझ मेरे भाई तेरो अवसर बीतो जाई टेक लाख करोड़ी माया जोड़ी...

प्रभु तैने कैसो खेल रचायो मैं तो देख देख बिसमायो टेक देव रूप हो स्वर्गलोक में...

प्रभु मेरी नैया को पार उतारो मैं तो डूबत हूं मझधारो टेक भवसागर जल दुस्तर भारी...

ऊधो मुझे संत सदा प्यारे जांकी महिमा वेद उचारे टेक मेरे कारण छोड़ जगत के भोग...