Gyaan
मुझे सतगुरु संत मिलाय सखी मेरे मन की तपत बुझाय सखी ॥ टेक ॥ आन बसी...
मैं तो रमता जोगी राम मेरा क्या दुनियां से काम॥ टेक ॥ हाडमांस से बनी पुतलिया...
मानुष जन्म फिरके आना नहीं है बिना ज्ञान के मोक्ष पाना नही है ॥ टेक ॥...
जय जय जगदीश ईश शरण मैं तुमरी ॥ टेक ॥ ब्रम्हा वेद बचन रटत शम्भू सदा...
कामिल आस कमल किय़ा तैने ख्याल में खेल बनाय दिया ॥ टेक ॥ नहि कागज कलम...
मान कही मन मूर्ख तुं अब तो भज नाम निरंजन का ॥ टेक ॥ जून अनेक...
जाग़ मुसाफिर देख ज़रा वो तो कूच की नौबत बाज रही ॥ टेक ॥ सोवत सोवत...
आज सखी सतसंगत में मिलके हरि के गुण गान करो ॥ टेक ॥ कलि में हरिनाम...
दिखादे रूप ईश्वर का मुझे गुरुदेव करुणाकर टेक कोई बैकुंठ का ऊपर कोई कैलास पर्वत में...
शरण में आ पड़ा तेरी प्रभु मुझको भुलाना ना टेक तेरा है नाम दुनिया में पतित...
अगर है ज्ञान को पाना तो गुरु की जा शरण भाई टेक जटा सिरपे रखाने से...
अगर है मोक्ष की वांछा छोड़ दुनिया की यारी हैं टेक कोई तेरा न तू किसका...