वृक्षवल्ली आम्हा सोयरी वनचरे। पक्षी ही सुस्वरे आळविती।। धृ ।। येण सुखे रुचे एकांताचा वास। नाही...

हरि भजनाविण काळ घालवू नको रे।। धृ ।। दोरीच्या सापा भिऊनी भवा। भेटी नाही जीवा शिवा।...

ओंकार स्वरूपा सदगुरु समर्था अनाथाच्या नाथा तुज नमो।। धृ ।। नमो मायबापा गुरु कृपाघना तोडी या...

भजन में होत आनंद आनंद। बरसत शब्द अमी के बादल भीजत है कोई संत ।। अगर...

मेरा तेरा मनुवा कैसे एक होई रे । मैं कहता हौं आँखन देखी तू कहता कागद...

मेरी लगन अब लागी है। बंधन काटि किया गुरु मुक्ता जरा मरण भ्रम भागी है।। जब...

मेरी सुरति सोहागिन जाग रे। का सोवै तू लोभ मोह में उठ के गुरु चरणों लाग...

अवधू चाल चले सो प्यारा।। निस दिन नाम विदेही सुमिरे कबहुँ न टूटे तारा।। सपने नाम...

जाती जिधर को नजरिया हमारी उधर देखता हूँ मैं सूरत तुम्हारी। खिला है ये दुनिया का...

नरहरि चंचल है मति मेरी कैसे भक्ति करूँ मैं तेरी। तू मोहे देखेहौं मैं तोहे देखूँ...

काया नहीं तेरी नहीं तेरी। ये तो दो दिन की जिन्दगानी जैसा पत्थर ऊपर पानी। ये...

का माँगू कुछ थिर ना रहाई देखत नैन चला जग जाई। इक लाख पूत सवा लाख...