देख सखी बन को चले आज राम है ॥ टेक ॥ दशरथ के कुंवरबाल कोमल तन...
श्रीराम नाम सुमर उमर बीत ज़ात है ॥ टेक ॥ जोबन धन शरीर माल सबका नाश...
श्रीकृष्ण नाम साऱ ऊधो कठिन योग है ॥ टेक ॥ आसन मूलबंध तान प्राण पवनकर समान...
देखो री आज प्यारी अली आवत श्याम मोरी गली ॥ टेक ॥ मोरमुकुट सिर धराय पीत...
मान मान मेरी कही उमऱ तेरी बिट रही ॥ टेक ॥ मनुज देह फिर न आय...
अब तो नाथ दया करो मैं तो तेरी शरण पडो ॥ टेक ॥ भव समुद्र जल...
दीनबंधु दया करी दीजो दरस मोहे हरी ॥ टेक ॥ शीश रतन मुकुट धार श्रवणकुंडल मकरकार...
आज सखी कुंजन में रास रचत है हरी ॥ टेक ॥ जमुनासरित निर्मल नीर हरित घास...
राम नाम सुमर ले उमर बीत जा रही ॥ टेक ॥ अंजलि जल न थिर रहाय...
आज मुझे आय़ के नाथ दरस दीजिये ॥ टेक ॥ शीशमुकुट तिलकभाल श्रवणकुंडल दृग विशाल कंठ...
आज मेरी बेनती दीन बंधु मान ले ॥ टेक ॥ भाई बंधु मीत नार चार दिवस...
आज मेरी बेनती दीनबंधु सुन ज़रा ॥ टेक ॥ सकल जगत के अधार निर्गुण नित निर्विकार...