नाथ कैसे द्रुपदीके चीर बढ़ाए जाको देख सभी विस्माये टेक कौरव पांडव मिल आपस में जूबा...
नाथ कैसे नरसिंघ रूप बनाया जासे भक्त प्रहलाद बचाया टेक न कोई तुमारा पिता कहावे न...
राम तेरी रचना अचरज भारी जाको वर्णन कर सब हारी टेक जल की बूँद से देह...
आज मेरी सुनिये अरज गिरधारी मैं तो आया हूँ शरण तुमारी टेक बालापन सब खेल गवायो...
नाथ तेरी मायाजाल बिछाया जामे सब जग फिरत भुलाया टेक कर निवास नौमास गर्भ में फिर...
आज सखी सपने में आये नारायण बैकुंठ बिलासी टेक मदन अनेक वदन की शोभा रवि शशि...
बाहिर ढुंडन जा मत सजनी पिया घर बीच बिराज रहे री टेक गगन महल में सेज...
कर्म कर्म क्या गावे मूरख पुरुशारथ कर होय सुखारो टेक परमेश्वर् की वस्तुन मांही सबका है...
काहे शोच करे नर मन में कर्म लिखा सोई होवत प्यारे टेक होवन हार मिटे नहि...
जीवन की प्रतिपाल करो नर मानुष जन्म सफल हो जाई टेक जप तप योग यतन बहुतेरे...
जीवन को मत मार छुरी से मारनहार खड़ा सिर तेरे टेक जीव मारकर अमर न होवे...
क्या पानी में मलमल नहावे मन की मैल उतार प्यारे टेक हाड़ मांस की देह बनी...