जय महेश जटाजूट कंठ सोहे कालकूट जन्म मरण जाय छूट नाम लेत जांके ॥ तीन नयन...
शीशमुकुट तिलक भाल कानन कुंडल विशाल कंठ में बैजंती माल शोभत अति भारी ॥ बिलसत तन...
प्रथम सुमर श्रीगणेश गौरीसुत प्रिय महेश ॥ सकल विघन भय कलेश दूरसे निवारे॥ १ ॥ लंब...
सुनले प्रभु अरज हमारी रे सुनले प्रभु अरज हमारी॥ दीनदयाल सकल दुःख भंजन । अशरणशरण परम...
जग सपने की माया साधो जग सपने की माया है ॥ शोच समझ नर दिल अपने...
भजले नर शारंगपाणी रे भजले नर शारंगपाणी मानुष तन पुन पुन नहि आवे । दिनदिन घडी...
मुझे सतगुरु संत मिलाय सखी मेरे मन की तपत बुझाय सखी ॥ टेक ॥ आन बसी...
मुझे लगन लगी प्रभु पावन की एजी पावन की घर लावन की ॥ टेक ॥ छोड...
मेरी सुरत गगन में जाय रही एजी जाय रही अरु धाय रही ॥ टेक ॥ त्रिकुटी...
अनहद धुनि सिर पर बाज रही एजी बाज रही अरु गाज रही ॥ टेक ॥ बाजत...
हरिनाम सुमर सुखकारण रे सुखकारण रे भवतारण रे ॥ टेक ॥ सोवत सोवत फिरत निरंतर सुख...
हरि सुमरण बिन दिन जाय रहे एजी जाय रहे नित धाय रहे ॥ टेक ॥ बालपणा...