छका अवधूत मस्तान माता रहै ज्ञान बैराग सुधि लिया पूरा। १ स्वाँस उस्वाँस का प्रेम प्याला...
चेत सबेरा चलना बाट यह जग देखा झूठा ठाट। टेक चलने की तजबीज न कीन्हा मजलों...
ई चुनरी तोहे सतगुरु दीन्हा पहिर ओढ़कर मैली कीन्हा। जैबो का पहिर गोरी पिया संग माँ...
चार दिन अपनी नौबति चले बजाइ। उतानैं खटिया गड़िले मटिया संगि न कछु लै जाइ। १...
चाम के महल में भूल मत बावरे स्वपन का संग है बुझि रहना। १ साँच को...
चादर हो गई बहुत पुरानी अब तो सोच समझ अभिमानी। टेक अजब जुलाहा चादर बीनी सूत...
चली है कुलबोरनी गंगा नहाय । टेक सतुवा कराइन बहुरी भुंजाइन घूँघट ओटे मसकत जाय। १...
चलि चलि रे भंवरा कवल पास भवरी बोलै अति उदास। टेक तैं अनेक पुहुप को लियो...
चलहु का टेढ़ो टेढ़ो टेढ़ो। दशहूँ द्वार नरक भरि बूड़े तूँ गंधी को बेड़ो। टेक फूटै...
चल मन जहाँ बसे प्रीतम जी वैराग मोर यार। टेक साँप छोड़ल केंचुली जी गंगा छोड़ेली...
चलन चलन सब कोई कहत हैं ना जाने बैकुण्ठ कहाँ है। टेक योजन एक प्रमिति नहिं...
चदरिया झीनी रे झीनी राम नाम रस भीनी। टेक अष्ट कमल का चरखा बनाया पाँच तत्व...