ठठरी छाड़ि चले बनजारा । टेक इस ठठरी बिच सात समुन्दर कोई मीठा कोई खारा ।...
डर लागै औऱ हाँसी आवै अजब जमाना आया रे । टेक धन दौलत लै माल खजाना...
डगरिया भूल गई मैं केहि बिधि घर को जावं । टेक पन्थ चलत कैसे दिन बीते...
तख्त बना हाड़ चाम का जी दाना पानी का भोग लगावता है। १ मल नीर झरै...
तज दिये प्राण काया कैसी रोई । टेक चलत प्राण काया कैसी रोई छोड़ चला निर्मोही...
तातैं कहिये लोकाचार बेद कतेब कथैं व्योहार । टेक जारि बारि करि आवे देहा मूवाँ पीछे...
तन राखन हार कोई नाहिं सोचविचार देखो मन माहिं । टेक जोरि कुटुम्ब आपन करि मान्यो...
तीरथ में सब पानी है होवै नहिं कछु नहाय देखा । १ प्रतिमा सकल बनी जड़...
तीरथ कौन करे हमारो तीरथ कौन करे । १ मन में गंगा मन में जमुना मन...
तुम देखो लोगो भूल भुलैया का तमाशा । टेक ना कोई आता ना कोई जाता झूठा...
तू तो राम सुमिर जग लड़ने दे । टेक कोरा कागज काली स्याही लिखत पढ़त वहि...
तेरा जन एकाध है कोई । टेक काम क्रोध अरु लोभ विवर्जित हरिपद चीन्हैं सोई ।...